आत्मसाक्षात्कार प्राप्त होने के बाद जैसे-जैसे हम नियमित ध्यान करते हैँ , वैसे-वैसे हमारे विचारोँ मेँ बदलाव आना शुरु होता है ।
हम सकारात्मक रुप से विचार करने लगते हैँ । और जिवन ही नहीँ, प्रत्येक बात की तरफ देखने का हमारा नजरिया ही सकारात्मक हो जाता है । नकारात्मक विचार आते तो है, पर एकदम कम समय के लिए , जैसे पानी का एक बुलबुला कम समय रहता है ।
भुतकाल की यादेँ धुँधली होना शुरु हो जाती है और हमारा चित्त सदैव वर्तमान मे रहने लग जाता है ।
हम अंतरमुखी हो जाते है । हम हमारी समस्या के लिए दुसरे को जिम्मेदार नही मानते, "मेरी क्या गलती हुई " वह देखते है ।
अपने दोषोँ की तरफ चित्त जाता है तो अपने दोष दुर होना चालु हो जातेँ है ।
परमात्मा की खोज बाहर करना बंद करते है क्योकि जान जाते हैँ - परमात्मा तो आत्मा के रुप मेँ मेरे ही अंदर बैठा है ।
और आत्मिक सुख और समाधान महसुस करते है और जीवन मेँ आत्मशांति अनुभव करते है ।
आत्मसाक्षात्कार वास्तव मेँ दुसरा जन्म ही होता है । पुराना सब छूट जाता है ।
➤ आत्मसाक्षात्कार - Aatma Sakshatkar
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